नगर केंद्र में एक महल है ये तो केशव का घर है नगर केंद्र में एक महल है ये तो केशव का घर है
इस रोशनी के आते ही , एक नया अंतर्मन बन जाएगा। इस रोशनी के आते ही , एक नया अंतर्मन बन जाएगा।
हो न रहा हो मिलन तो निकलती है सिसकी हो न रहा हो मिलन तो निकलती है सिसकी
मन की मन से खुलकर कह लें, पैदा सुखद हालात करें मन की मन से खुलकर कह लें, पैदा सुखद हालात करें
फंसा रहता है मानव मन, सदा ही दुःखों के भंवर में! फंसा रहता है मानव मन, सदा ही दुःखों के भंवर में!
मेरे अंतर्मन की दुविधा, फिर सुविधा सी बन जाती है मेरे अंतर्मन की दुविधा, फिर सुविधा सी बन जाती है